स्वेज नहर (Suez Canal UPSC in Hindi)
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स्वेज नहर का संक्षिप्त विवरण
लंबाई
- 193.3 कि॰मी॰ (120.1 मील)
औसत
गहराई - 16.5 मीटर
चौडाई
- 60 मीटर
प्रारंभ
बिंदु (Start point) - पोर्ट सईद
अंत
बिंदु (End point) - स्वेज़ पोर्ट
स्वेज़
नहर एक कृत्रिम समुद्र-स्तरीय जल मार्ग है
जो कि अफ्रीका महाद्वीप के मिस्र
(Egypt) देश में स्थित है। यह
नहर भूमध्य सागर को लाल
सागर से जोड़ता है।
इस नहर की लम्बाई
पनामा नहर की लम्बाई
से दुगुनी है। वर्तमान में स्वेज़
नहर मिस्र (Egypt) देश के नियन्त्रण में
है।
स्वेज़ नहर के बनने के बाद यूरोप से एशिया और पूर्वी अफ्रीका का सीधा और सरल मार्ग प्राप्त हो गया है, जिससे एशिया और यूरोप के बीच की 6000 किलोमीटर की दूरी को सिर्फ 300 किलोमीटर में कवर किया जा सकता है। इस कारण यात्रा में 7 दिनों की कमी आई है। इस मार्ग के कारण समय और ईधन की काफी बचत होती है।
स्वेज़ नहर को पार करने में जलयानों को 12 से 16 घण्टों का समय लगता है। स्वेज नहर को पार करते समय जलयानों की गति 11 से 16 किलोमीटर प्रति घण्टे के बीच होती है। चौड़ाई कम होने कारण इस नहर से एक साथ दो जलयान पार नही हो सकते हैं। इस नहर से होकर एक दिन मे अधिकतम 24 जलयानो का आवागमन हो सकता है।
स्वेज नहर का जलमार्ग (उत्तर से दक्षिण) (स्वेज नहर के बंदरगाह)
- पोर्ट सईद (प्रारंभ बिंदु)
- Port fuad
- Al-Tinah
- Al-Kab
- Al-Qantarah
- Al-Ballah
- Ithnayn
- Lake Timsah
- Great Bitter Lake
- Little Bitter Lake
- स्वेज़ पोर्ट (अंत बिंदु)
स्वेज नहर का
महत्त्व (स्वेज नहर की उपयोगिता)
स्वेज नहर से भारत को क्या-क्या लाभ हुआ | अंतरराष्ट्रीय व्यापार में स्वेज नहर के महत्व की व्याख्या कीजिए?
1. स्वेज नहर का महत्त्व उसकी स्थिति के कारण है। ये एकमात्र ऐसी जगह है जो यूरोप के समुद्र (भूमध्यसागर) को अरब सागर (हिंद महासागर) और एशिया-पैसिफिक के देशों से जोड़ती है। यदि स्वेज नहर न हो तो जलयानों को अरब सागर (हिंद महासागर) और एशिया-पैसिफिक के देशों तक पहुंचने के लिए पूरे अफ्रीकी महाद्वीप की यात्रा कर उसे पार करना पड़ेगा। इससे ट्रांसपोर्ट की लागत बढ़ने के साथ-साथ यात्रा का समय भी काफी बढ़ जाएगा।
2. विश्व के करीब 30% शिपिंग कंटेनर स्वेज नहर से गुजरते हैं तथा स्वेज नहर के माध्यम से विश्व के 12% सामानों का व्यापार होता है।
3. स्वेज
नहर मार्ग से पश्चिमी यूरोपीय
देशों तथा उत्तरी अमेरिका
के देशों को, फारस की
खाड़ी के देशों से
खनिज तेल, भारत तथा
अन्य एशियाई देशों से अभ्रक, लौह-अयस्क, मैंगनीज़, चाय, कहवा, जूट,
रबड़, कपास, ऊन, मसाले, चीनी,
चमड़ा, खालें, सागवान की लकड़ी, सूती
वस्त्र, हस्तशिल्प आदि भेजी जाती
है।
4. पश्चिमी यूरोपीय देशों तथा उत्तरी अमेरिका से रासायनिक पदार्थ, इस्पात, मशीनों, औषधियों, मोटर गाड़ियों, वैज्ञानिक उपकरणों आदि का फारस की खाड़ी के देशों में आयात किया जाता है।
5. स्वेज नहर बन जाने से यूरोप एवं सुदूर-पूर्व के देशों के मध्य दूरी बहुत कम हो गयी है। इससे अनेक देशों, पूर्वी अफ्रीका, ईरान, अरब, भारत, पाकिस्तान, सुदूर पूर्व एशिया के देशों, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों के साथ व्यापार में सुविधा हुई है जिससे व्यापार में वृद्धि हुयी है।
6. यह नहर भारत
के लिए भी काफी महत्त्वपूर्ण है। इस नहर के कारण ही भारत तथा यूरोपीय देशों के बीच
व्यापारिक सम्बन्ध मजबूत हुए हैं। भारत का
यूरोप, उत्तरी अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका
के साथ स्वेज नहर
के रास्ते वार्षिक व्यापार अरबों डॉलर का है।
भारत स्वेज नहर का उपयोग
उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप से
माल निर्यात और आयात के
लिए करता है। इसमें
फर्नीचर, चमड़े का सामान,
पेट्रोलियम उत्पाद, वाहन पुर्जे, मशीनरी,
कपड़ा आदि शामिल हैं।
स्वेज नहर का इतिहास (History of Suez Canal in Hindi) (Suez Canal History in Hindi
स्वेज नहर निर्माण:
- स्वेज नहर के निर्माण की योजना पर फ्रांस के राजनयिक डि लेसेप्स ने 1854 में काम करना शुरू किया था।
- 1858 में स्वेज नहर का निर्माण करने के लिए एक कंपनी की स्थापना की गई, जिसका नाम यूनिवर्सल स्वेज शिप कैनाल कंपनी था।
- 99 वर्ष के लिए यूनिवर्सल स्वेज शिप कैनाल कंपनी को नहर के निर्माण और संचालन का काम सौंपा गया।
- स्वेज़ नहर का निर्माण सन् 1859 से 1869 तक हुआ।
- ये नहर 1869 में बनकर तैयार हुई और इसे अंतरराष्ट्रीय यातायात के लिए आधिकारिक रूप से 17 नवम्बर 1869 को खोला गया।
- इस नहर को बनाने में लगभग 100 मिलियन डॉलर का खर्च आया था ।
पहले इस
नहर का प्रबंधन कार्य यूनिवर्सल स्वेज शिप कैनाल कंपनी
करती थी। इसके 50% शेयर फ्रांस
और 50% शेयर तुर्की, मिस्र
और अन्य अरब देशों
के थे। बाद में
मिस्र और तुर्की के
शेयरों को अंग्रेजों ने
खरीद लिया। 1875 में ग्रेट ब्रिटेन
स्वेज कनाल कंपनी का
सबसे बड़ा शेयर धारक
बन गया।
1882 में
ब्रिटेन ने मिस्र पर
अपना अधिकार कर लिया। लेकिन
1888 ई. में हुई एक
अन्तरराष्ट्रीय सन्धि के अनुसार स्वेज
नहर युद्ध और शान्ति दोनों
समय में सभी देशों
के जलयानों के लिए बिना
किसी रोकटोक के समान रूप
से आने-जाने के
लिए खोल दी गयी।
इस समझौता में यह सहमति
बनी थी की इस
नहर पर किसी एक
राष्ट्र की सेना तैनात
नहीं रहेगी। किन्तु अंग्रेजों ने 1904 ई॰ में इस
समझौते को तोड़ दिया
और नहर पर अपनी
सेनाएँ तैनात कर दी और उन्हीं
राष्ट्रों के जलयानों के
आने-जाने की अनुमति
दी जाने लगी जो
ब्रिटेन के साथ युद्धरत
नहीं थे।
1936 में
मिस्र को स्वतंत्रता मिल
गयी, लेकिन स्वेज़ नहर का अधिकार
ब्रिटेन के पास रहा।
1947 ई॰ में स्वेज कैनाल
कम्पनी और मिस्र सरकार
के बीच एक समझौता
हुआ, जिसमे यह निश्चय हुआ कि कम्पनी के
साथ 99 वर्ष का पट्टा
रद्द हो जाने पर
इसका स्वामित्व मिस्र सरकार को मिल जाएगा।
1951 ई.
में ग्रेट ब्रिटेन के विरुद्ध मिस्र
में आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। अन्त
में 1954 ई॰ में एक
समझौता हुआ जिसके अनुसार
ब्रिटेन कुछ शर्तों के
साथ स्वेज़ नहर से अपनी
सेना हटा लेने पर
सहमत हो गया।
द्वितीय
विश्व युद्ध के बाद मिस्र
ने स्वेज़ नहर क्षेत्र में ब्रिटिश
सैनिकों से आजादी की
मांग प्रारम्भ कर दी और
जुलाई 1956 में मिस्र के
राष्ट्रपति जमाल अब्देल नसर
ने स्वेज़ नहर का राष्ट्रीयकरण
कर दिया।
स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण (स्वेज़ संकट)
26 जुलाई
1956 में मिस्र के राष्ट्रपति जमाल अब्देल नसर द्वारा स्वेज़ नहर का राष्ट्रीयकरण कर
दिया गया। अतः वर्ष
1956 में ब्रिटेन, फ्रांस और इज़रायल ने
स्वेज नहर पर निर्भर
अपने व्यावसायिक/व्यापारिक हितों की रक्षा के
लिये मिस्र पर आक्रमण किया।
इस युद्ध को स्वेज़ संकट
(Suez Crisis) के नाम से जाना
जाता है।
1956 में मिस्र
के राष्ट्रपति अब्दुल नासिर ने स्वेज नहर का राष्ट्रीयकरण कर दिया तथा ब्रिटेन व फ्रांस
की सेनाओं से मिस्र खाली करने का आदेश दिया। स्वेज नहर कंपनी में अधिकतर शेयर
पूंजी ब्रिटिश और फ्रांस सरकार
के थे। नासिर के इस कदम से दोनों देशों में हड़कंप मच गया।
अतः पहले इज़राइल
तथा बाद में ब्रिटेन और
फ्रांस ने स्वेज नहर पर निर्भर अपने व्यावसायिक/व्यापारिक हितों की रक्षा के लिये मिस्र पर आक्रमण
कर
दिया। इस आक्रमण
का उद्देश्य पश्चिमी
देशों का नियंत्रण स्वेज
नहर पर पुनः स्थापित
करना तथा मिस्र के
राष्ट्रपति नासिर को सत्ता से
हटाना था।
युद्ध
प्रारंभ होने के बाद
संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और राष्ट्र
संघ ने राजनैतिक हस्तक्षेप
किया और आक्रमणकारी देश
इज़राइल, ब्रिटेन और फ्रांस
पीछे हटने को बाध्य
हुए। संयुक्त राष्ट्र संघ ने मिस्र
में एक शान्ति सेना
भेजकर वहाँ शान्ति स्थापित
करवायी तथा स्वेज नहर को सभी
देशों के जलयानों के
आवागमन के लिए 1957 में
खोल दिया गया।
कब-कब बंद रही है स्वेज नहर?
पहली
बार 26 जुलाई 1956 को नहर के
राष्ट्रीयकरण की घोषणा के
बाद उपजे विवाद के
कारण इस नहर को
बंद किया गया था।
इस
पर ब्रिटेन और फ्रांस भड़क
उठे थे और मिस्र पर आक्रमण कर दिया था। बाद में समझौता हुआ
और जलमार्ग फिर से खोल
दिया गया।
दूसरी
बार जून 1967 में नहर बंद
रही थी। जून 1967 में
इजराइल का मिस्र, सीरिया
और जॉर्डन से युद्ध प्रारम्भ
हो गया था। यह
युद्ध 6 दिन तक चला। इस युद्ध के
दौरान 15 जलयान स्वेज नहर मार्ग में
फंस गए थे। इनमें
से एक जलयान डूब
गया था और बाकी
14 जलयान अगले 8 वर्ष तक स्वेज
नहर मार्ग में फंसे रह गए थे। इसके
कारण इस नहर से
व्यापार 8 साल तक
बंद रहा था। 5 जून
1975 को स्वेज नहर में आवागमन
दोबारा शुरू हो सका।
इन देशों के जहाज फंसे
थे-
- बुल्गेरिया,
- चेक गणराज्य (तब चेकोस्लोवाकिया),
- फ्रांस,
- पोलैंड,
- स्वीडन,
- पश्चिमी जर्मनी,
- यू.के.
- अमेरिका
इसके
अलावा साल 2004, 2006, 2007 और 2021 में जहाजों के
फंसने के कारण यातायात
बाधित हुआ है।
स्वेज नहर | Suez Canal in Hindi |
स्वेज नहर मैप | Suez Canal Map | Swej Nahar in World Map | Swej Nahar in Map
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FAQ
Q. स्वेज
नहर कौन से देश
में है? (स्वेज नहर कहां है?)
A. स्वेज नहर अफ्रीका महाद्वीप के मिस्र (Egypt) देश में स्थित है।
Q. स्वेज
नहर का निर्माण कब
हुआ?
A. स्वेज़ नहर
का निर्माण सन् 1859 से 1869 तक हुआ।
Q. भूमध्य
सागर और लाल सागर
को मिलाने वाली नहर कौन
सी है?
A. भूमध्य
सागर और लाल सागर
को मिलाने वाली नहर स्वेज़
नहर है।
Q. स्वेज
नहर की कुल लंबाई
कितनी है?
A. स्वेज
नहर की कुल लंबाई
193.3 कि॰मी॰ (120.1 मील) है।
Q. स्वेज
नहर का राष्ट्रीयकरण कब
किया गया था?
A. स्वेज
नहर का राष्ट्रीयकरण 26 जुलाई
1956 को किया गया था।
Q. स्वेज
नहर के निर्माता कौन
थे?
A. स्वेज
नहर के निर्माता फ्रांस
के राजनयिक डि लेसेप्स थे।
Q, स्वेज
नहर में कौन सा
जहाज फंसा है (2021)?
A. स्वेज नहर में एवर गिवन (EVER GIVEN) नाम का जहाज तिरछा होकर फंस गया था और 7 दिनों तक ये मार्ग बंद था (2021) ।
Thank you so much sir
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